Friday, March 6

पेट को रोगमुक्त रखेंगे घर में बने ये 4 चूर्ण


पेट की समस्या से हर घर में अधिकतर व्यक्ति परेशान होते हैं। पेट की मुख्‍य समस्‍याओं में कमजोर पाचन तंत्र, कब्‍ज, गैस बनना हो सकता है। इनके लिए डॉक्‍टरी इलाज करने के साथ ही आप इन घरेलू नुस्‍खों को भी अपना सकते हैं। आज हम आपको पेट की आम समस्‍याओं के लिए इलाज के लिए घरेलू चीजों से बनने वाले 4 चूर्ण के बारे में बता रहे हैं। इनके प्रयोग से कई रोगों से मुक्त हो सकते है।
गैस हर चूर्ण :
सामग्री
·       10 ग्राम सेंधा नमक
·       10 ग्राम हींग
·       10 ग्राम सज्जीखार ( शुद्ध )
·       10 ग्राम हरड़ छोटी
·       10 ग्राम अजवायन
·       10 ग्राम काली मिर्च
चूर्ण बनाने की विधि
इस चूर्ण को बनाने के लिए उपर्युक्त  सामग्री को इक्कठा करें और अच्छी तरह से बारीक पीस लें। जब पाउडर बन जाए तो उसे किसी बारीक कपड़े या छन्‍नी से छान कर किसी कांच की शीशी में भरकर रख लें।
गैस और अपच के लिए :
सामग्री
·       जीरा 120 ग्राम 
·       सेंधानमक 100 ग्राम 
·       धनिया 80 ग्राम
·       कालीमिर्च 40 ग्राम 
·       सोंठ 40 ग्राम
·       छोटी इलायची 20 ग्राम
·       पीपर छोटी 20 ग्राम 
·       नींबू सत्व 15 ग्राम 
·       खाण्ड देशी 160 ग्राम
चूर्ण बनाने की विधि
नींबू और खाण्‍ड को छोड़ कर बाकी की सभी सामग्रियों को पीस कर चूर्ण तैयार करें।  फिर उसमें नींबू निचोड़े और खाण्‍ड मिलाएं। इस मिश्रण को 3 घंटे के लिये एक कांच के बरतन में रख दें।  फिर इसका सेवन खाना खाने के बाद 2 से 5 ग्राम करें।
कब्‍ज निवारक चूर्ण
सामाग्री
·       जीरा
·       अजवाइन
·       काला नमक
·       मेथी
·       सौंफ
·       हींग
चूर्ण बनाने की विधि
सबसे पहले जीरा, अजवाइन, मेथी और सौंफ को अलग-अलग धीमी आंच पर भून लें। भूनने के बाद इन्‍हें अलग-अलग बारीक पीस लें। इसके बाद एक बर्तन में काला नमक और आधा चम्‍मच हींग लें। अब इसमें जीरा, सौंफ, अजवाइन का पाउडर डाल लें। इन तीनों से कम मात्रा में मेथी पाउडर डालें। इस मिश्रण को अच्‍छी तरह मिला लें। ध्‍यान ये रखना है कि जीरा, अजवाइन और सौंफा की मात्रा समान होनी चाहिए। इसको अच्‍छी तरह से मिक्‍स करने के बाद किसी डिब्‍बे में रख लें।

पेट के लिए रामबाण है यह चूर्ण
खाना खाने के बाद कई लोगों को बदहजमी हो जाती है। कभी-कभी तो पेट दर्द बर्दाशत से बाहर हो जाता है।इस चूर्ण से पाचन क्रिया ठीक रहती है।
सामग्री
·       अनारदाना 10 ग्राम
·       छोटी इलायची 10 ग्राम
·       दालचीनी 10 ग्राम
·       सौंठ 20 ग्राम
·       पीपल 20 ग्राम
·       कालीमिर्च 20 ग्राम
·       तेजपत्ता 20 ग्राम
·       पीपलामूल 20 ग्राम
·       नींबू का सत्व 20 ग्राम
·       धनिया 40 ग्राम
·       सेंधा नमक 50 ग्राम
·       काला नमक 50 ग्राम
·       सफेद नमक 50 ग्राम
·       मिश्री की डली 350 ग्राम
चूर्ण बनाने की विधि
सेंधा नमक, काला नमक, सफेद नमक, मिश्री और नींबू का सत्व को छोड़कर सभी सामान को कड़ी धूप में 2-3 घण्टे सुखा लें। फिर इसे मिक्सी में डालकर बारीक पीस लें।
इसके बाद बाकी सामान को अलग से बारीक पीस लें और फिर सभी सामानों के इस पाउडर को अच्छे से मिला लें। अब इसे किसी कांच की शीशी भरकर रख लें।

रखें पेट की सेहत का ध्यान


हमारा स्वास्थ्य सर्वाधिक पेट के स्वास्थ्य पर निर्भर है | पेट खराब होने से विभिन्न रोगों की आशंका काफी बढ़ जाती है। आजकल की व्यस्त जीवनशैली में हमे यह ध्यान ही नहीं रहता कि हम अपने खानपान में जो ले रहे हैं वह स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक है भी या नहीं। हम कई बार स्वाद के चक्कर में तो कई बार मजबूरी में ऐसे खाद्यों को खा लेते हैं, जोकि स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नही होते हैंइन कारणों से पाचन तंत्र का संतुलन बिगड़ जाता है | इसलिए ध्यान रखें, यदि पेट स्वस्थ रहेगा, तभी शरीर स्वस्थ रहेगा। पेट खराब होने से निम्न परेशानियाँ उत्पन्न हो जाती हैं |
·       यदि पाचन तंत्र सही तरह से काम न करे और खाना ठीक से न पचे तो कई बार गैस की समस्या पैदा हो जाती है, जो कई तरह की परेशानियों को जन्म देती है। सही तरह से खाना न पचने से आपका पाचन तंत्र बिगड़ जाता है, जिससे शरीर को जरूरी पोषण भी नहीं मिल पाता है।
·       कब्ज एक बड़ी समस्या है, जिसका हमारी पाचन क्रिया पर सीधा असर पड़ता है।
·       पेट खराब होने का असर सबसे ज्यादा हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता अनेक बीमारियों का कारण बनती चली जाती है।
·       पेट खराब होने पर छोटी आंत में मौजूद बैक्टीरिया शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा देते हैं। इससे दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
·       आंतों में खराब बैक्टीरिया जमा होने के कारण शरीर में पोषक तत्व ठीक से अवशोषित नहीं हो पाते। ऐसे में वजन घटने लगता है।
·       यदि पेट में समस्या बनी रहती है तो इसका असर हमारी त्वचा पर दिखने लगता है। खुजली और मुहांसे जैसी समस्या ऐसे में आम हो जाती हैं।

पेट को स्वस्थ्य रखने के लिए इन्हे अपनाएं –

तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ाएँ
शरीर में पानी की कमी से अक्सर पेट खराब हो जाता है । ऐसे में भरपूर पानी पीएं अथवा आप फलों का जूस और सब्जियों का रस भी ले सकते हैं। आप चाहें तो नीबू पानी, नमक-चीनी का घोल या फिर नारियल पानी ले सकते हैं। 
साबुत अनाज खाएं 
साबुत अनाज में फाइबर, विटामिन, मिनरल्स और पानी की अधिकता होती है। इसलिए इनके सेवन से पेट का स्वास्थ्य ठीक रहता है। अंकुरित अन्न के माध्यम से यह हमे आसानी से प्राप्त हो सकते हैं |
पेट रोगों मे दही का सेवन है लाभकारी
पेट दर्द में दही का इस्तेमाल काफी फायदेमंद रहता है। दही में मौजूद बैक्टीरिया संतुलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे पेट जल्दी ठीक होता है। ये पेट को ठंडा भी रखता है।
जीरा
जीरा दस्त में काफी फायदेमंद है । यदि लगातार दस्त हो रहे हों तो एक चम्मच जीरा चबा लें। जीरा चबाकर पानी पी लेने से दस्त बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं।
पुदीना
पुदीना पेट से जुड़ी समस्याओं मे एक बेहद असरदार हर्ब है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट्स पाचन क्रिया को सुधारने में भी सहायक होते हैं।
बेल का शरबत
बेल फाइबर से युक्त होता है। इससे बना शरबत भी काफी गाढ़ा और फाइबर युक्त होता है। फाइबर पेट को बांधने का काम करता है, जिससे दस्त जल्दी ठीक हो जाते हैं।
सेब का सिरका
सेब के सिरके में पेक्टिन की पर्याप्त मात्रा होती है, जिससे पेट दर्द और मरोड़ में राहत मिलती है। एक चम्मच सिरके को एक गिलास पानी में मिलाकर पीने से जल्दी आराम होता है।
अदरक
अदरक में एंटीफंगल और एंटी-बैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं, जो पेट दर्द में राहत देते हैं। एक चम्मच अदरक का रस काफी फायदेमंद साबित होता है।

हेपेटाइटिस के कारण और बचाव के उपाय


हेपेटाइटिस लिवर से जुड़ी एक स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें लिवर की कोशिकाओं मे सूजन आ जाने से वे क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। हेपेटाइटिस का मामूली संक्रमण अपने आप ठीक हो जाता है। अगर इसके लक्षण छह महीने से अधिक दिखाई दें, तो वह एक्यूट हेपेटाइटिस की श्रेणी में आता है। क्रॉनिक हेपेटाइटिस के लक्षण लंबे समय तक रह सकते हैं। वैज्ञानिकों ने हेपेटाइटिस के लिए जिम्मेदार पांच वायरसों की खोज की है। इन्हें ए, बी, सी, डी और ई नाम दिया गया है।
हेपेटाइटिस ए वायरस (एचएवी)
यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के मल में पाए जाते हैं और ये मुख्यतया दूषित पानी या भोजन के द्वारा प्रसारित होते हैं। जो लोग गंदे परिवेश में रहते हैं या साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखते, उनके इसकी चपेट में आने की आशंका अधिक होती है।
हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी)
यह संक्रमित रक्त, सीमन और दूसरे बॉडी फ्ल्यूड के द्वारा संचरित होता है। यह वायरस जन्म के समय संक्रमित मां से बच्चे में संचरित हो सकता है या नवजात शिशु को परिवार के किसी सदस्य के द्वारा मिल सकता है। यह संक्रमित रक्तदान या दूषित इंजेक्शन से भी फैल सकता है।  
हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी)
यह मुख्यतया दूषित रक्त से संचरित होता है। यह संक्रमित रक्तदान या मेडिकल प्रक्रियाओं के दौरान दूषित इंजेक्शन आदि से भी फैल सकता है। यह शारीरिक संबंधों के द्वारा भी फैल सकता है, लेकिन इसके मामले कम देखे जाते हैं।
हेपेटाइटिस डी वायरस (एचडीवी)
यह संक्रमण केवल उन लोगों में होता है, जो हेपेटाइटिस बी वायरस से संक्रमित होते हैं।
हेपेटाइटिस ई वायरस (एचईवी)
हेपेटाइटिस ए वायरस के समान ही एचईवी भी दूषित पानी या भोजन के द्वारा प्रसारित होता है। इसके मामले बहुत अधिक देखे जाते हैं।
लक्षण :  
कई लोगों में प्रारंभ में हेपेटाइटिस का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है। आमतौर पर इसके लक्षण 15 से 180 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। संक्रमण गंभीर होने पर निम्न लक्षण दिखाई देते हैं-
·       बुखार आना
·       डायरिया
·       थकान
·       यूरिन का रंग गहरा होना
·       मल का रंग पीला हो जाना
·       खुजली रहना
·       भूख न लगना
·       उल्टी होना
·       पेट में दर्द होना
·       दिल घबराना
·       मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
·       वजन कम होना
·       सिर दर्द
·       चक्कर आना
·       त्वचा, आंखों के सफेद भाग, जीभ का रंग पीला पड़ जाना (ये लक्षण पीलिया में दिखाई देते हैं)
·       महिलाओं में मासिक धर्म का गड़बड़ा जाना
·       लिवर का आकार बढ़ जाना
कारण :
·       विभिन्न प्रकार के संक्रमण।
·       नशा करना (शराब और कुछ निश्चित ड्रग्स का सेवन)।
·       ऑटोइम्यून डिसीज भी हेपेटाइटिस का कारण बन सकती हैं।
·       कुछ निश्चित दवाओं के इस्तेमाल के दुष्प्रभाव से भी यह बीमारी हो सकती है।
निदान :
·       एक ब्लड टेस्ट के जरिए गंभीर और क्रॉनिक एचबीवी संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। उन लोगों के लिए स्क्रीनिंग उपलब्ध है, जिन्हें एचबीवी संक्रमण होने का खतरा अधिक है अथवा जांच में स्पष्ट नहीं हुए एचबीवी संक्रमण के चलते जटिलताएं हो चुकी होती हैं।
हेपेटाइटिस के कारण होने वाली स्वास्थ्य जटिलताएं
क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी या सी के कारण अकसर अधिक गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं, क्योंकि ये वायरस प्रमुख रूप से लिवर पर आक्रमण करते हैं। जिन लोगों को हेपेटाइटिस बी या सी है, उनमें इन स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है-
·       क्रॉनिक लिवर डिसीज
·       लिवर सिरोसिस
·       लिवर कैंसर
·       लिवर फेल्योर
·       किडनी फेल्योर।
रोकथाम
·       साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।

·       टैटू के लिए स्टरलाइज नीडल का इस्तेमाल करें।
·       सुरक्षित शारीरिक संबंध बनाएं।
·       अपने टूथब्रश और रेजर किसी के साथ साझा न करें।
·       शराब का सेवन न करें या अत्यंत कम मात्रा में करें।
·       विशेषकर टॉयलेट से आने के बाद सफाई का ध्यान रखें।